महाराजगंज: मौनिया बाबा राजकीय महावीरी झंडा मेले में अखाड़ा जुलूस संपन्न, 32 अखाड़ों ने दिखाया शौर्य
उत्तर बिहार का प्रसिद्ध मौनिया बाबा राजकीय महावीरी झंडा मेला इस वर्ष भी पूरे उत्साह और पारंपरिक गरिमा के साथ संपन्न हुआ। शुक्रवार की रात और शनिवार को दोपहर तक आयोजित अखाड़ा जुलूस ने पूरे शहर को धार्मिक और सांस्कृतिक उत्सव में बदल दिया। हर धर्म-संप्रदाय के श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी और पूरा मेला क्षेत्र नगाड़ों, जयघोष और नारों से गूंज उठा।
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अखाड़ा में करतब दिखाता युवक |
पारंपरिक रौनक और अखाड़ों का प्रदर्शन
शनिवार दोपहर जैसे ही सड़कों पर अखाड़ों का प्रदर्शन शुरू हुआ, लोगों में उत्साह चरम पर पहुंच गया। युवाओं ने लाठी-डंडों और पारंपरिक शस्त्रों से अद्भुत करतब दिखाकर दर्शकों का मन मोह लिया।
जुलूस में सबसे आगे बजरंगबली की प्रतिमा रही, जबकि नागा जी मठ के महावीर जी का सिंहासन जब राजेंद्र चौक स्थित मेला नियंत्रण कक्ष के सामने पहुंचा, तो मौजूद अधिकारियों ने खड़े होकर अभिनंदन किया। मौके पर उपस्थित सांसद ने मेले को राष्ट्रीय एकता और अखंडता का प्रतीक बताते हुए औपचारिक समापन की घोषणा की।
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हनुमान जी की झांकी |
भागीदारी और मार्ग
इस बार मेले में कुल 32 अखाड़ों ने शिरकत की। महाराजगंज शहरी और ग्रामीण क्षेत्र से 9, जबकि दरौंदा प्रखंड से 12 भव्य अखाड़ों ने भाग लिया।
कई अखाड़ों ने 3 से 4 किलोमीटर लंबा सफर तय करते हुए मौनिया बाबा स्थल तक हाथी, घोड़े, ऊंट, बैंड पार्टी और ऑर्केस्ट्रा के साथ परंपरागत प्रस्तुतियां दीं।
गांवों से आने वाले अखाड़ों में पसनौली, नवलपुर, अभुई, वैदापुर, विशुनपुरा, रामापाली, फतेहपुर, रमसापुर, कोथुआ सारंगपुर, बेला गोविदापुर, उजांय, सवान विग्रह, धनछुआ, पकवलिया, बंगरा, करसौत, झझवां, तेवथा, मानपुर, झझवा समेत कई अन्य गांवों का नाम शामिल रहा।
शहर में नागाजी का मठ बड़ा अखाड़ा, प्रधान अखाड़ा सिंहौता, आजाद अखाड़ा, कपिया निजामत अखाड़ा और इंदौली अखाड़ा ने युद्ध कला का भव्य प्रदर्शन किया। वहीं, कई अखाड़ों ने आकर्षक झांकियां भी प्रस्तुत कीं।
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नियंत्रण कक्ष में मौजूद जिलाधिकारी, एसपी, एमपी, पूर्व विधायाक व अन्य |
सुरक्षा और प्रशासनिक प्रबंध
जुलूस और मेले के दौरान सुरक्षा को लेकर प्रशासन पूरी तरह चौकस रहा। प्रत्येक चौक-चौराहे पर मजिस्ट्रेट और पुलिस बल की तैनाती की गई। अखाड़ा जुलूस की वीडियोग्राफी कराई गई और हालात पर लगातार निगरानी रखी गई।
प्रशासन ने पूर्व घोषित निर्देशों के तहत 30 स्थानों पर दंडाधिकारियों की नियुक्ति की थी। हालांकि, डीजे पर पूर्ण प्रतिबंध के बावजूद कुछ अखाड़ा समितियों ने डीजे का इस्तेमाल किया। इसके बावजूद पुलिस अधिकारी जुलूस और मेले की निगरानी में मौजूद रहे।
आस्था और उत्सव का उल्लास
मौनिया बाबा समाधि स्थल पर दर्शनार्थियों का सैलाब उमड़ पड़ा। अखाड़ों की शालीनता और भव्यता ने श्रद्धालुओं का मन मोह लिया। नगाड़ों, जयघोष और जयकारों के बीच संपन्न हुआ यह मेला उत्तर बिहार की धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक एकता की परंपरा को एक बार फिर जीवंत कर गया।
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